ॐ निरञ्जन निराकार अवधू मूल द्वार में बन्ध लगाई पवन पलटे गगन समाई, ज्योति मध्ये ज्योत ले स्थिर हो भई ॐ मध्याः उत्पन्न भई उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवधर बैठो, मन उनमन, बुध सिद्ध चित्त में भया नाद । तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश । हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश । त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी । इडा पिंगला सुषम्ना देवी नागन जोगन त्रिपुर सुन्दरी । उग्र बाला, रुद्र बाला तीनों ब्रह्मपुरी में भया उजियाला । योगी के घर जोगन बाला, ब्रह्मा विष्णु शिव की माता ।