निम्नलिखित प्रकार से दिशा का निर्धारण करना चाहिए
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वशीकरण कर्म उत्तराभिमुख होकर
आकर्षण कर्म दक्षिणाभिमुख होकर
स्तंभन कर्म पूर्वाभिमुख होका
शान्ति कर्म पश्चिमाभिमुख होकर
पौष्टिक कर्म नैऋत्याभिमुख होकर
मारण कर्म ईशानाभिमुख होकर
विद्वेषण कर्म आग्नेयाभिमुख होकर
उच्चाटन कर्म वायव्याभिमुख होकर