मंत्र - साधना में वर्णादि विचार



वर्णादि के द्वारा कर्म विचार इस प्रकार करना चाहिए -
आकर्षण कर्म में उदय होते सूर्य के जैसा वर्ण
वशीकरण कर्म में रक्तवर्ण
स्तंभन कर्म में पीतवर्ण
शांति पौष्टिक कर्म में चंद्रमा के समान श्वेत वर्ण
विद्वेषण उच्चाटन कर्म में धूम्रवर्ण
मारण कर्ण में कृष्णवर्ण