वर्णादि के द्वारा कर्म क विचार इस प्रकार करना चाहिए
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आकर्षण कर्म में उदय होते सूर्य के जैसा वर्ण
वशीकरण कर्म में रक्तवर्ण
स्तंभन कर्म में पीतवर्ण
शांति व पौष्टिक कर्म में चंद्रमा के समान श्वेत वर्ण
विद्वेषण व उच्चाटन कर्म में धूम्रवर्ण
मारण कर्ण में कृष्णवर्ण