ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षःप्रचोदयात्।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा
प्रार्थना
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
“ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
मोहिनी मोहिनी मैं करा मोहिनी मेरा नाम |राजा मोहा प्रजा मोहा मोहा शहर ग्राम ||त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |स्तर बहतर जिस गली मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||वाजे मन्त्र फुरे वाचा |देखा महा मोहिनी तेरे इल्म का तमाशा ||

Mantra To Conquer Death

                                                  mantra rāja mantra
Nṛsiṁha pūrvatāpinī upaniṣad reveals “mantra rāja mantra”, the king of all mantras.
those who fear for death and sins should get mantra rāja mantra initiated. Following is mantra rāja mantra. ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।om ugraṁ vīraṁ mahāviṣṇuṁ jvalantaṁ sarvatomukham |
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्य्मृत्युं नमाम्यहम्॥nṛsiṁhaṁ bhīṣaṇaṁ bhadraṁ mṛtymṛtyuṁ namāmyaham ||

                                          yajur mahālakṣmi gāyatrī mantra
Nṛsiṁha pūrvatāpinī upaniṣad reveals another powerful mantra known as “yajur mahālakṣmi gāyatrī mantra”. This mantra has twenty four akṣara-s like gāyatrī mantra. It is said that this mantra is capable of giving wealth and status. Following is yajur mahālakṣmi gāyatrī mantra.
ॐ भूर्लक्ष्मी भुवर्लक्ष्मीः सुवः कालकर्णी। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
om bhūrlakṣmī bhuvarlakṣmīḥ suvaḥ kālakarṇī | tanno lakṣmīḥ pracodayāt ||


ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्य्मृत्युं नमाम्यहम्॥
ॐ भूर्लक्ष्मी भुवर्लक्ष्मीः सुवः कालकर्णी। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥

om ugraṁ vīraṁ mahāviṣṇuṁ jvalantaṁ sarvatomukham |
nṛsiṁhaṁ bhīṣaṇaṁ bhadraṁ mṛtymṛtyuṁ namāmyaham ||
om bhūrlakṣmī bhuvarlakṣmīḥ suvaḥ kālakarṇī | tanno lakṣmīḥ pracodayāt ||
“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।”
बंगाल की रानी करे मेहमानी मुंज बनी के कावा पद्मावती बैठ खावे मावा सत्तर सुलेमान ने हनुमान को रोट लगाया हनुमान ने राह संकट हराया तारा देवी आवे घर हात उठाके देवे वर सतगुरु ने सत्य का शब्द सुनाया सुन योगी आसन लगाया किसके आसन किसके जाप जो बोल्यो सत गुरु आप हर की पौड़ी लक्ष्मी की कौड़ी सुलेमान आवे चढ़ घोड़ी आउ आउ पद्मा वती माई करो भलाई न करे तोह गुरु गोरक्ष की दुहाई.