ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षःप्रचोदयात्।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा
प्रार्थना
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
“ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
मोहिनी मोहिनी मैं करा मोहिनी मेरा नाम |राजा मोहा प्रजा मोहा मोहा शहर ग्राम ||त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |स्तर बहतर जिस गली मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||वाजे मन्त्र फुरे वाचा |देखा महा मोहिनी तेरे इल्म का तमाशा ||

प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति के लिये सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति

प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति
श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

“श्याम तामरस दाम शरीरं । जटा मुकुट परिधन मुनिचीरं ॥
पाणि चाप शर कटि तूणीरं । नौमि निरंतर श्रीरघुवीरं ॥१॥
मोह विपिन घन दहन कृशानुः । संत सरोरुह कानन भानुः ॥
निशिचर करि वरूथ मृगराजः । त्रातु सदा नो भव खग बाजः ॥२॥
अरुण नयन राजीव सुवेशं । सीता नयन चकोर निशेशं ॥
हर ह्रदि मानस बाल मरालं । नौमि राम उर बाहु विशालं ॥३॥
संशय सर्प ग्रसन उरगादः । शमन सुकर्कश तर्क विषादः ॥
भव भंजन रंजन सुर यूथः । त्रातु सदा नो कृपा वरूथः ॥४॥
निर्गुण सगुण विषम सम रूपं । ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं ॥
अमलमखिलमनवद्यमपारं । नौमि राम भंजन महि भारं ॥५॥
भक्त कल्पपादप आरामः । तर्जन क्रोध लोभ मद कामः ॥
अति नागर भव सागर सेतुः । त्रातु सदा दिनकर कुल केतुः ॥६॥
अतुलित भुज प्रताप बल धामः । कलि मल विपुल विभंजन नामः ॥
धर्म वर्म नर्मद गुण ग्रामः । संतत शं तनोतु मम रामः ॥७॥” (अरण्यकाण्ड)
मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग ...
https://ramcharitmanas.wordpress.com/मानस-के-स...
मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग १॰ ऐश्वर्य प्राप्ति 'माता सीता की स्तुति' का नित्य श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करें। ... भव-सागर के तरने की इच्छा करनेवालों के लिये जिनके चरण निश्चय ही एक-मात्र प्लव-रुप हैं, जो सम्पूर्ण कारणों से परे हैं, उन समर्थ, दुःख ... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्तिश्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

कल्याणवाणी: 10/07/11
kalyanvaani.blogspot.com/2011_10_07_archive.html
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग. अपने इष्ट कार्य की ... बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच ..... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति. श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। “श्याम तामरस दाम ...

मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग
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१॰ ऐश्वर्य प्राप्ति ... श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। ...किसी भी प्रतियोगिता के साक्षात्कार में सफलता सुनिश्चित है। ... भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग

astrology lalkitab: श्री रामचरित मानस के सिद्ध ...
astrologylalkitab.blogspot.com/.../blog-post_8758.htm...
जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके ..... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति श्रीसुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

SHRAVAN SHRIVASTAVA
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जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके .... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति श्रीसुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

You and Me: May 2010
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औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों और सरकार द्वारा आयोजित अन्‍य कार्यक्रमों में राष्‍ट्रपति के आगमन पर और सामूहिक कार्यक्रमों में तथा इन ... बजरंग बाणभौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग ...... १॰ ऐश्वर्य प्राप्ति'माता सीता की स्तुति' का नित्य श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करें। ... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्तिश्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुतिका नित्य पाठ करें।

Astrology and the solution of problems: June 2012
mythsnastrology.blogspot.com/2012_06_01_archive....
समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये “विद्या:...... श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। “श्याम ... किसी भी प्रतियोगिता के साक्षात्कार में सफलता सुनिश्चित है।

SAMADHAN NEWS
ksameersahijournalist.blogspot.com/ अनैतिकता, झूठ, भ्रष्टाचार, तिकड़म, महंगाई और गप्पबाजी के अलावा इन छह दशकों के ऊपर के कार्यकाल में संसद का कोई अतिरिक्त ...... भव-सागर के तरने की इच्छा करनेवालों के लियेजिनके चरण निश्चय ही एक-मात्र प्लव-रुप हैं, जो सम्पूर्ण कारणों से परे हैं, ... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। “श्याम ...

धनुष Mentions - Most Recent - page 7 - Social Peek
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जिन प्राणियों को भगवान श्रीराम के चरण-कमल चिह्नों का ध्यान एवं चिंतन प्रिय है, उनका जीवन वस्तुत: धन्य, पुण्यमय, सफल तथा ..... प्रेम में सफलता 119- चूड़ी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 120- कुआं देखना- सम्मान बढऩा 121- अनार देखना- धन प्राप्ति के योग 122- .... वशिष्ठ जी ने नंदिनी गौ का आह्वान करके विश्वामित्र तथा उनकी सेना के लिये छः प्रकार के व्यंजन तथा समस्त प्रकार के ..... द्वारारचित स्कन्द पुराण के अनुसार महाबली भीम एवं हिडिम्बा के पुत्र वीर घटोत्कच के शास्त्रार्थ कीप्रतियोगिता ...

रक्षा, स्वयं, कथा Mentions - Social Peek
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सावन के महीने में भगवान शिव मुँह माँगा वरदान देने के लिए तत्पर रहते हैं भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो स्वयं तो वस्त्र हीन हैं। .... माखन चोर, नंदकिशोर के जन्म दिवस पर मटकी फोङ प्रतियोगिता का आयोजन, खेल, खेल में समझा जाता है कि किस तरह स्वयं को संतुलित ... आरोग्य एवं सौभाग्यप्राप्ति के लिए इस चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया हैः ..... चोटी रखना हिन्दू धर्म ही नहीं , सुषुम्ना के केद्रों की रक्षा केलिये ऋषि-मुनियों की खोज का विलक्षण चमत्कार हैं।

सर्वोच्च पद प्राप्ति के लिये अत्रिमुनि द्वारा श्रीराम स्तुति



श्री अत्रि मुनि द्वारा ‘श्रीराम-स्तुति’ का नित्य पाठ करें।
छंदः-
“नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥
भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां स्वधामदं ॥
निकाम श्याम सुंदरं । भवाम्बुनाथ मंदरं ॥
प्रफुल्ल कंज लोचनं । मदादि दोष मोचनं ॥
प्रलंब बाहु विक्रमं । प्रभोऽप्रमेय वैभवं ॥
निषंग चाप सायकं । धरं त्रिलोक नायकं ॥
दिनेश वंश मंडनं । महेश चाप खंडनं ॥
मुनींद्र संत रंजनं । सुरारि वृंद भंजनं ॥
मनोज वैरि वंदितं । अजादि देव सेवितं ॥
विशुद्ध बोध विग्रहं । समस्त दूषणापहं ॥
नमामि इंदिरा पतिं । सुखाकरं सतां गतिं ॥
भजे सशक्ति सानुजं । शची पतिं प्रियानुजं ॥
त्वदंघ्रि मूल ये नराः । भजंति हीन मत्सरा ॥
पतंति नो भवार्णवे । वितर्क वीचि संकुले ॥
विविक्त वासिनः सदा । भजंति मुक्तये मुदा ॥
निरस्य इंद्रियादिकं । प्रयांति ते गतिं स्वकं ॥
तमेकमभ्दुतं प्रभुं । निरीहमीश्वरं विभुं ॥
जगद्गुरुं च शाश्वतं । तुरीयमेव केवलं ॥
भजामि भाव वल्लभं । कुयोगिनां सुदुर्लभं ॥
स्वभक्त कल्प पादपं । समं सुसेव्यमन्वहं ॥
अनूप रूप भूपतिं । नतोऽहमुर्विजा पतिं ॥
प्रसीद मे नमामि ते । पदाब्ज भक्ति देहि मे ॥
पठंति ये स्तवं इदं । नरादरेण ते पदं ॥
व्रजंति नात्र संशयं । त्वदीय भक्ति संयुता ॥” (अरण्यकाण्ड)






श्री अत्रि मुनि द्वारा 'श्रीराम-स्तुति ...https://hi-in.facebook.com/...and.../443355655725241
श्री अत्रि मुनि द्वारा 'श्रीराम-स्तुति' का नित्य पाठ करें। छंदः-. “नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥ भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां स्वधामदं ॥ निकाम श्याम सुंदरं । भवाम्बुनाथ मंदरं ॥ प्रफुल्ल कंज लोचनं । मदादि दोष मोचनं ॥ प्रलंब बाहु ...

मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग ...
https://ramcharitmanas.wordpress.com/मानस-के-स...
श्री अत्रि मुनि द्वारा 'श्रीराम-स्तुति' का नित्य पाठ करें। छंदः- “नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥ भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां स्वधामदं ॥ निकाम श्याम सुंदरं । भवाम्बुनाथ मंदरं ॥ प्रफुल्ल कंज लोचनं । मदादि दोष मोचनं ॥ प्रलंब बाहु ...

मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग
anilastrologer.blogspot.com/2010/.../blog-post_05.ht...
गोस्वामी श्री तुलसी दास जी ने श्री राम चरित मानस की रचना के समस्त मानव जाति पर जो उपकार किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. ... श्री अत्रि मुनि द्वारा रचित 'श्रीराम-स्तुति' का नित्य प्रातः व सायकाल दीप जला कर पाठ करें।

अत्रि मुनि द्वारा श्री राम स्तुति
www.ramcharit.in/श्री-राम-स्तुति...ramstuti/र...
अरण्यकाण्ड अत्रि मुनि द्वारा श्री राम स्तुति. नमामि भक्त वत्सलम् । कृपालु शील कोमलम् ॥ भजामि ते पदाम्बुजम् । अकामिनाम् स्वधामदम् ॥ निकाम् श्याम् सुन्दरम् । भवाम्बुनाथ मन्दरम् ॥ प्रफुल्ल कञ्ज लोचनम् । मदादि दोष मोचनम् ॥1॥ प्रलम्ब ...

अत्रि मुनि द्वारा श्री राम स्तुति | Praying Sri ...
www.ramcharit.in/praying-sri-rama-by-sage-atri-with-...
अरण्यकाण्ड अत्रि मुनि द्वारा स्तुति. Aranyakand Praying Sri Rama by Sage Atri. नमामि भक्त वत्सलम् । कृपालु शील कोमलम् ॥ भजामि ते पदाम्बुजम् । अकामिनाम् स्वधामदम् ॥ निकाम् श्याम् सुन्दरम् । भवाम्बुनाथ मन्दरम् ॥ प्रफुल्ल कञ्ज लोचनम् । मदादि ...

श्री राम स्तुति (Lord Rama's Prayer by Atri Muni ...
agoodplace4all.com/archives/2306
 तुलसीदास (Tulsidas) रचित रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के अरण्यकाण्ड में अत्रि मुनि (Atri Muni) भगवान राम की स्तुति (Lord Ramas' prayer) इस प्रकार से करते हैं –. नमामि भक्त वत्सलं, कृपालु शील कोमलं। भजामि ते पदांबुजं, अकामिनां ...

True Ya False I Dont Know: टोटके
rekhabloge.blogspot.com/2010/03/blog-post_27.html
४॰ श्री गोस्वामी तुलसीदास विरचित “अत्रिमुनि द्वारा श्रीराम स्तुति´´ का नित्य पाठ करें। निम्न छन्द अरण्यकाण्ड में वर्णित है।`मानस पीयूष´ के अनुसार यह `राम चरित मानस की नवीं स्तुति है और नक्षत्रों में नवाँ नक्षत्र आश्लेषा ...

मुनि अत्रि ने इस स्तुति से की थी श्रीराम की ...
religion.bhaskar.com › ... › Navratri › Pooja Process
utsav- Atri muni was the worship lord ram of this praise. ... इनके माध्यम से श्रीराम को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसी ही एक स्तुति का वर्णन रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड में आया है। भगवान राम की यह स्तुति मुनि अत्रि द्वारा की गई है।

Astrology Online, Indian Astrology: Shri Ram Stuti
astrologyindianjotish.blogspot.com/p/shri-ram-stuti.html Shri Ram Stuti. श्री गोस्वामी तुलसीदास विरचित “अत्रिमुनि द्वारा श्रीराम स्तुति´´ का नित्य पाठ करें। निम्न छन्द अरण्यकाण्ड में वर्णित है। `मानस पीयूष´ के अनुसार यह `राम चरित मानस की नवीं स्तुति है और नक्षत्रों में नवाँ नक्षत्र आश्लेषा ...

कल्याणवाणी: 10/07/11
kalyanvaani.blogspot.com/2011_10_07_archive.html
“श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है। गूगुल की .... 'माता सीता की स्तुति' का नित्य श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करें। ... श्री अत्रि मुनि द्वारा 'श्रीराम-स्तुति' का नित्य पाठ करें। 

माँ दुर्गा मन्त्र से कामना सिद्धि

 maa durga ke acuka prabavi mantra, maa durga ke camatkari mantra, maa durga ke acuka prabhavi mantra, maa durga ke Saktisali mantra, doorga ke acuka prabhavi mantra,दुर्गा शप्तशती के सिद्ध मंत्र. भारतीय परम्परा मे शक्ति की उपासना का एक अलग ही महत्व है । श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ मनोरथ सिद्धि के लिए किया जाता है, क्योंकि श्री दुर्गा सप्तशती दैत्यों के संहार की शौर्य गाथा से अधिक कर्म, भक्ति एवं ... आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया है
durga mantra se kamana siddhi, doorga mantra se kaamana siddhi, durga mantra se karya siddhi, doorga mantra se karya siddhi
माँ दुर्गा के  प्रभावी मंत्र, मां दुर्गा के चमत्कारी मंत्र, माँ दुर्गा के  प्रभावी मन्त्र, माँ दुर्गा के शक्तिशाली मंत्र, दूर्गा के  प्रभावी मंत्र, दुर्गा मन्त्र से कामना सिद्धि, दूर्गा मंत्र से कामना सिद्धि, दुर्गा मंत्र से कार्य सिद्धि, दूर्गा मंत्र से कार्य सिद्धि, उसके सब मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।
माँ दुर्गा मन्त्र से कामना सिद्धि, दुर्गा सप्तशती के सिद्ध चमत्कारी मंत्र

सर्व प्रकार कि बाधा मुक्ति हेतु:

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः॥

अर्थातः- मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें जरा भी संदेह नहीं है।

बाधा शान्ति हेतु:

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥

अर्थातः- सर्वेश्वरि! तुम इसी प्रकार तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शान्त करो और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहो।

विपत्ति नाश हेतु:

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

अर्थातः- शरण में आये हुए दीनों एवं पीडितों की रक्षा में संलग्न रहनेवाली तथा सबकी पीडा दूर करनेवाली नारायणी देवी! तुम्हें नमस्कार है।

भय नाश हेतु:

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम्। पातु न: सर्वभीतिभ्य: कात्यायनि नमोऽस्तु ते॥
ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुरसूदनम्। त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते॥

अर्थातः- सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्ति यों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवि! सब भयों से हमारी रक्षा करो; तुम्हें नमस्कार है। कात्यायनी! यह तीन लोचनों से विभूषित तुम्हारा सौम्य मुख सब प्रकार के भयों से हमारी रक्षा करे। तुम्हें नमस्कार है। भद्रकाली! ज्वालाओं के कारण विकराल प्रतीत होनेवाला, अत्यन्त भयंकर और समस्त असुरों का संहार करनेवाला तुम्हारा त्रिशूल भय से हमें बचाये। तुम्हें नमस्कार है।


सर्व प्रकार के कल्याण हेतु:

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
अर्थातः- नारायणी! आप सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करनेवाली मङ्गलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। आपको नमस्कार हैं।

सुलक्षणा पत्‍‌नी की प्राप्ति हेतु:
पत्‍‌नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

अर्थातः- मन की इच्छा के अनुसार चलनेवाली मनोहर पत्‍‌नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसारसागर से तारनेवाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो।


शक्ति प्राप्ति हेतु:

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते॥

अर्थातः- तुम सृष्टि, पालन और संहार करने वाली शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणि! तुम्हें नमस्कार है।


रक्षा प्राप्ति हेतु:

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

अर्थातः- देवि! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें।


विद्या प्राप्ति एवं मातृभाव हेतु:

विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्तिः॥

अर्थातः- देवि! विश्वकि सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे हो।


प्रसन्नता की प्राप्ति हेतु:

प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि। त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव॥

अर्थातः- विश्व की पीडा दूर करनेवाली देवि! हम तुम्हारे चरणों पर पडे हुए हैं, हमपर प्रसन्न होओ। त्रिलोकनिवासियों की पूजनीय परमेश्वरि! सब लोगों को वरदान दो।


आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति हेतु:

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

अर्थातः- मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो। परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि मेरे शत्रुओं का नाश करो।


महामारी नाश हेतु:

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

अर्थातः- जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा- इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके! तुम्हें मेरा नमस्कार हो।


रोग नाश हेतु:

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

अर्थातः- देवि! तुमहारे प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवाछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं।
“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।”
बंगाल की रानी करे मेहमानी मुंज बनी के कावा पद्मावती बैठ खावे मावा सत्तर सुलेमान ने हनुमान को रोट लगाया हनुमान ने राह संकट हराया तारा देवी आवे घर हात उठाके देवे वर सतगुरु ने सत्य का शब्द सुनाया सुन योगी आसन लगाया किसके आसन किसके जाप जो बोल्यो सत गुरु आप हर की पौड़ी लक्ष्मी की कौड़ी सुलेमान आवे चढ़ घोड़ी आउ आउ पद्मा वती माई करो भलाई न करे तोह गुरु गोरक्ष की दुहाई.