ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षःप्रचोदयात्।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा
प्रार्थना
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
“ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
मोहिनी मोहिनी मैं करा मोहिनी मेरा नाम |राजा मोहा प्रजा मोहा मोहा शहर ग्राम ||त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |स्तर बहतर जिस गली मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||वाजे मन्त्र फुरे वाचा |देखा महा मोहिनी तेरे इल्म का तमाशा ||

प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति के लिये सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति

प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति
श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

“श्याम तामरस दाम शरीरं । जटा मुकुट परिधन मुनिचीरं ॥
पाणि चाप शर कटि तूणीरं । नौमि निरंतर श्रीरघुवीरं ॥१॥
मोह विपिन घन दहन कृशानुः । संत सरोरुह कानन भानुः ॥
निशिचर करि वरूथ मृगराजः । त्रातु सदा नो भव खग बाजः ॥२॥
अरुण नयन राजीव सुवेशं । सीता नयन चकोर निशेशं ॥
हर ह्रदि मानस बाल मरालं । नौमि राम उर बाहु विशालं ॥३॥
संशय सर्प ग्रसन उरगादः । शमन सुकर्कश तर्क विषादः ॥
भव भंजन रंजन सुर यूथः । त्रातु सदा नो कृपा वरूथः ॥४॥
निर्गुण सगुण विषम सम रूपं । ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं ॥
अमलमखिलमनवद्यमपारं । नौमि राम भंजन महि भारं ॥५॥
भक्त कल्पपादप आरामः । तर्जन क्रोध लोभ मद कामः ॥
अति नागर भव सागर सेतुः । त्रातु सदा दिनकर कुल केतुः ॥६॥
अतुलित भुज प्रताप बल धामः । कलि मल विपुल विभंजन नामः ॥
धर्म वर्म नर्मद गुण ग्रामः । संतत शं तनोतु मम रामः ॥७॥” (अरण्यकाण्ड)
मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग ...
https://ramcharitmanas.wordpress.com/मानस-के-स...
मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग १॰ ऐश्वर्य प्राप्ति 'माता सीता की स्तुति' का नित्य श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करें। ... भव-सागर के तरने की इच्छा करनेवालों के लिये जिनके चरण निश्चय ही एक-मात्र प्लव-रुप हैं, जो सम्पूर्ण कारणों से परे हैं, उन समर्थ, दुःख ... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्तिश्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

कल्याणवाणी: 10/07/11
kalyanvaani.blogspot.com/2011_10_07_archive.html
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग. अपने इष्ट कार्य की ... बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच ..... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति. श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। “श्याम तामरस दाम ...

मानस के सिद्ध स्तोत्रों के अनुभूत प्रयोग
rekhabloge.blogspot.com/2011/04/blog-post_30.html
१॰ ऐश्वर्य प्राप्ति ... श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। ...किसी भी प्रतियोगिता के साक्षात्कार में सफलता सुनिश्चित है। ... भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग

astrology lalkitab: श्री रामचरित मानस के सिद्ध ...
astrologylalkitab.blogspot.com/.../blog-post_8758.htm...
जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके ..... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति श्रीसुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

SHRAVAN SHRIVASTAVA
chitraguptafamily.blogspot.com/2010/.../blog-post.ht...
जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके .... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति श्रीसुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें।

You and Me: May 2010
searchingmyselfdeeply.blogspot.com/2010_05_01_ar...
औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों और सरकार द्वारा आयोजित अन्‍य कार्यक्रमों में राष्‍ट्रपति के आगमन पर और सामूहिक कार्यक्रमों में तथा इन ... बजरंग बाणभौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग ...... १॰ ऐश्वर्य प्राप्ति'माता सीता की स्तुति' का नित्य श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करें। ... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्तिश्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुतिका नित्य पाठ करें।

Astrology and the solution of problems: June 2012
mythsnastrology.blogspot.com/2012_06_01_archive....
समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये “विद्या:...... श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। “श्याम ... किसी भी प्रतियोगिता के साक्षात्कार में सफलता सुनिश्चित है।

SAMADHAN NEWS
ksameersahijournalist.blogspot.com/ अनैतिकता, झूठ, भ्रष्टाचार, तिकड़म, महंगाई और गप्पबाजी के अलावा इन छह दशकों के ऊपर के कार्यकाल में संसद का कोई अतिरिक्त ...... भव-सागर के तरने की इच्छा करनेवालों के लियेजिनके चरण निश्चय ही एक-मात्र प्लव-रुप हैं, जो सम्पूर्ण कारणों से परे हैं, ... ६॰ प्रतियोगिता में सफलता-प्राप्ति श्री सुतीक्ष्ण मुनि द्वारा श्रीराम-स्तुति का नित्य पाठ करें। “श्याम ...

धनुष Mentions - Most Recent - page 7 - Social Peek
www.social-peek.com/Keywords/धनुष/120/?sort...
जिन प्राणियों को भगवान श्रीराम के चरण-कमल चिह्नों का ध्यान एवं चिंतन प्रिय है, उनका जीवन वस्तुत: धन्य, पुण्यमय, सफल तथा ..... प्रेम में सफलता 119- चूड़ी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 120- कुआं देखना- सम्मान बढऩा 121- अनार देखना- धन प्राप्ति के योग 122- .... वशिष्ठ जी ने नंदिनी गौ का आह्वान करके विश्वामित्र तथा उनकी सेना के लिये छः प्रकार के व्यंजन तथा समस्त प्रकार के ..... द्वारारचित स्कन्द पुराण के अनुसार महाबली भीम एवं हिडिम्बा के पुत्र वीर घटोत्कच के शास्त्रार्थ कीप्रतियोगिता ...

रक्षा, स्वयं, कथा Mentions - Social Peek
www.social-peek.com/.../रक्षा,%20स्वयं,%20क...
सावन के महीने में भगवान शिव मुँह माँगा वरदान देने के लिए तत्पर रहते हैं भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो स्वयं तो वस्त्र हीन हैं। .... माखन चोर, नंदकिशोर के जन्म दिवस पर मटकी फोङ प्रतियोगिता का आयोजन, खेल, खेल में समझा जाता है कि किस तरह स्वयं को संतुलित ... आरोग्य एवं सौभाग्यप्राप्ति के लिए इस चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया हैः ..... चोटी रखना हिन्दू धर्म ही नहीं , सुषुम्ना के केद्रों की रक्षा केलिये ऋषि-मुनियों की खोज का विलक्षण चमत्कार हैं।

No comments:

Post a Comment

“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।”
बंगाल की रानी करे मेहमानी मुंज बनी के कावा पद्मावती बैठ खावे मावा सत्तर सुलेमान ने हनुमान को रोट लगाया हनुमान ने राह संकट हराया तारा देवी आवे घर हात उठाके देवे वर सतगुरु ने सत्य का शब्द सुनाया सुन योगी आसन लगाया किसके आसन किसके जाप जो बोल्यो सत गुरु आप हर की पौड़ी लक्ष्मी की कौड़ी सुलेमान आवे चढ़ घोड़ी आउ आउ पद्मा वती माई करो भलाई न करे तोह गुरु गोरक्ष की दुहाई.