ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षःप्रचोदयात्।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा
प्रार्थना
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
“ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
मोहिनी मोहिनी मैं करा मोहिनी मेरा नाम |राजा मोहा प्रजा मोहा मोहा शहर ग्राम ||त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |स्तर बहतर जिस गली मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||वाजे मन्त्र फुरे वाचा |देखा महा मोहिनी तेरे इल्म का तमाशा ||

Saraswati Stavaraj Stotram सरस्वती स्तवराज स्तोत्रम

Saraswati Stavaraj Stotram is very powerful stotra for getting very higher education in any field because Saraswati Stavaraj Stotram remove all bad effect of Moon Mercury and Jupiter from your astrology horoscopes and gives you good power of  Moon Mercury and Jupiter chanting of Saraswati Stavaraj Stotram regularly in morning evening and night is the most powerful way to please Goddess Saraswati and get his blessing.


शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीम् I
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् II
हस्ते स्फ़टिकमालिका विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् I
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुध्दिप्रदां शारदाम् II
आगच्छ वरदे देवी त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि I
गायत्री छन्दसां मातर्ब्रह्मयोनि नमोSस्तुते II
ॐ अस्य श्री दशश्लोकी महासरस्वतीस्तवराजस्य बृहस्पतिऋषिः अनुष्टुप् छन्दः I
श्री महासरस्वती प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः I
मन्त्र: " ॐ ऐम्(aim) ह्रीं(hreem) क्लिं(kleem) मम चतुर्दश विद्यासिद्ध्यर्थे श्रीमहासरस्वतीप्रीत्यर्थे च जपे विनियोगः I
ॐ पद्मासने शब्दरूपे ऐम् ह्रीं क्लिं वदवद वाग्वादिनी स्वाहा I
ॐ ऐम् ह्रीं क्लिं वद वद वाग्वादिनी मम जिव्हाग्रे सरस्वती स्वाहा I "
बृहस्पतिः उवाच
सरस्वतीं नमस्यामि चेतनां हृदिसंस्थितां I
कण्ठस्थां पद्मयोनेस्तु ऐम् ह्रींकार सुरप्रियाम् II
मतिदा वरदां चैव सर्वकामफ़लप्रदां I
केशवस्य प्रियां देवीं वीणाहस्तां वरप्रदां II
ॐ ऐम् ह्रीं मन्त्रं प्रियां हृद्यां कुमतिध्वंसकारिणीं I
स्वप्रकाशां निरालम्बामज्ञानतिमिरापहाम् II
मोक्षदां च शुभां नित्यां शुभगां शोभनप्रियां I
पद्मोपविष्टा कुण्डलिनीं शुक्लवस्त्रां मनोहराम् II
आदित्यमंडले लीनां प्रणमामि जनप्रियां I
ज्ञानाकारां परातीतां भक्त जाड्य विनाशिनीम् II
इति सत्यस्तुता देवी वागीशेन महात्मना II
आत्मानं दर्शयामास शरदिन्दुसमप्रभाम् II
I इति श्रीसरस्वती स्तवराज स्तोत्रं संपूर्णम् I
“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।”
बंगाल की रानी करे मेहमानी मुंज बनी के कावा पद्मावती बैठ खावे मावा सत्तर सुलेमान ने हनुमान को रोट लगाया हनुमान ने राह संकट हराया तारा देवी आवे घर हात उठाके देवे वर सतगुरु ने सत्य का शब्द सुनाया सुन योगी आसन लगाया किसके आसन किसके जाप जो बोल्यो सत गुरु आप हर की पौड़ी लक्ष्मी की कौड़ी सुलेमान आवे चढ़ घोड़ी आउ आउ पद्मा वती माई करो भलाई न करे तोह गुरु गोरक्ष की दुहाई.