ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षःप्रचोदयात्।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा
प्रार्थना
हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
“ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
मोहिनी मोहिनी मैं करा मोहिनी मेरा नाम |राजा मोहा प्रजा मोहा मोहा शहर ग्राम ||त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |स्तर बहतर जिस गली मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||वाजे मन्त्र फुरे वाचा |देखा महा मोहिनी तेरे इल्म का तमाशा ||

नाद साधना


.:: नाद साधना का क्रमिक अभ्यास (अखिल विश्व गायत्री ...
hindi.awgp.org/gayatri/...Life.../anandmay%207
नादयोग की साधना के दो रूप हैं। एक तो अन्तरिक्ष- सूक्ष्म जगत से आने वाली दिव्य ध्वनियों का श्रवण, दूसरा अपने अन्तरंग के शब्द ब्रह्म का जागरण और उसका अभीष्ट क्षेत्र में अभीष्ट उद्देश्य के लिए परिप्रेषण, यह शब्द उत्थान एवं परिप्रेषण ओउम् कार ...

नाद योग की साधना और सिद्धि - Akhandjyoti March 1985 :: (All ...
literature.awgp.org/akhandjyoti/1985/March/v2.38
शब्द विज्ञान में दो प्रकार की ध्वनियों की चर्चा विवेचना होती है। एक आहत। दूसरे अनाहत। आहत शब्द वे हैं जो किन्हीं वस्तुओं के टकराने से उत्पन्न होते हैं। घण्टा घड़ियाल का उदाहरण स्पष्ट है। कोई वस्तु हाथ से गिरे और तो जमीन से टकराने पर उसकी ...

हर मनुष्य के भीतर एक नाद बजता है ,मुक्ति के लिये भीतर ...
sanatangyanpeeth.in/how-to-get-moksha/
नाद-योग गहरी साधना है। नाद-योग की साधना वही कर पाएँगे जो लोग पहले भ्रामरी, ऊँकार के गुंजन से भी पहले ऊँ के उच्चारण का अभ्यास करें। फिर ऊँ का गुंजन हो। इसके साथ ही साथ योगनिद्रा चल रही हो तो धीरे-धीरे तीन से चार महीने में अथवा छह महीने में ...
, ये ब्रह्म नाद के रूप मेँ प्रत्येक व्यक्ति के भीतर और इस ब्रह्मांड में सतत् गूँजता रहता है। इसके गूँजते ... केवल प्रणव साधना के लिए ॐ का उच्चारण पद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका ...

Guru Maditdtion - ॐकार-साधना ॐकार-साधना 'नाद-योग' की ...
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ॐकार-साधना ॐकार-साधना 'नाद-योग' की उच्चस्तरीय साधना है। आरम्भिक अभ्यासी को प्रकृति प्रवाह से उत्पन्न विविध स्तर की आहत-परिचित ध्वनियाँ सूक्ष्म कणेंन्द्रियों से सुनाई पड़ती हैं। इनके सहारे मन को 'वशवर्ती' बनाने तथा 'प्रकृति-क्षेत्र' ...

DILIP Sharma - अनाहत नाद ब्रह्म की साधना ओंकार के ...
https://hi-in.facebook.com/permalink.php?story...
अनाहत नाद ब्रह्म की साधना ओंकार के माध्यम से अखण्ड ज्योति Jun 1977 | View Scanned Copy | | Report Discrepancies. ** Following Akhand Jyoti Unicode Text is under BETA testing. We appreciate your help on Stabilizing it by reporting discrepancies (e.g. omitted lines, incorrect text etc). For Original ...

आध्यात्मिक उपचार के लिए दैवी नाद
www.spiritualresearchfoundation.org/hi/divine-sounds
इस दैवी नाद की आध्यात्मिक उपचार की क्षमता का अनुभव पूरे विश्‍व के सहस्रों साधकों को हुआ । परात्पर गुरु प.पू. डॉ. आठवलेजी में साधना करने वाले विश्‍व के सभी जीवों को अनिष्ट शक्तियों की पीडा को न्यून करने की लगन है, इसलिए ईश्‍वर ने पूरी ...

नाद क्या है? in Hindi
hindi.speakingtree.in/article/content-246819
नाद सभी खंडों से एक ही वक्त में गूंजता है। होता यह है कि जीवात्मा इन पांच खंडों में से किसी एक घड़ी किसी एक खंड में रहती है , हालांकि आवाज नाद साधना के दौरान बाकी के खंडों में भी महसूस की जाती है। इसका मतलब जीवात्मा वहीं ...

प्रणव साधना से अनाहद नाद – उठो! जागो!
https://uthojago.wordpress.com/.../प्रणव-साधना-...
अनाहद नाद को सुनने में सहायक ओम साधना का उद्वेश्य अनाहद नाद को सुनना है । यह वह ध्वनि है जो हमारे कान के सुनने की क्षमता के बाहर की ध्वनि है। यह आकाशीय एवम् ब्रह्माण्डिय ध्वनि है जो निरन्तर हमारे चारांे ओर विद्वमान है।

दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य – सिर्फ इस आवाज को ...
www.svyambanegopal.com/दुनिया-का-सबसे-ब...
वास्तव में हमारा शरीर आश्चर्यों का खजाना है और एक से बढ़कर एक विचित्र क्रियाएं हैं जिन्हें करने से अदभुत, चमत्कारी लाभ, सिद्धियाँ मिलती है | इन्ही रहस्यमय क्रियाओं में से एक है अनाहत नाद साधना ! हमारे शरीर में हर समय एक दिव्य आवाज पैदा 

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“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।”
बंगाल की रानी करे मेहमानी मुंज बनी के कावा पद्मावती बैठ खावे मावा सत्तर सुलेमान ने हनुमान को रोट लगाया हनुमान ने राह संकट हराया तारा देवी आवे घर हात उठाके देवे वर सतगुरु ने सत्य का शब्द सुनाया सुन योगी आसन लगाया किसके आसन किसके जाप जो बोल्यो सत गुरु आप हर की पौड़ी लक्ष्मी की कौड़ी सुलेमान आवे चढ़ घोड़ी आउ आउ पद्मा वती माई करो भलाई न करे तोह गुरु गोरक्ष की दुहाई.